पत्र लेखन CBSE Class 10


(41) आपके क्षेत्र के पार्क को कूड़ेदान बना दिया गया था। अब पुलिस की पहल और मदद से पुनः बच्चों के लिए खेल का मैदान बन गया है। अतः आप पुलिस आयुक्त को धन्यवाद पत्र लिखिए।

अपना पता
परीक्षा भवन
क, ख, ग,
नई दिल्ली- 1100XX

सेवा में,
पुलिस आयुक्त
पश्चिमी दिल्ली

दिनांक- 18 मई, 20XX

विषय- आभार व्यक्त करने हेतु।

महोदय,
हम मदनपुर निवासी इस क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों और आपको धन्यवाद देना चाहते हैं। हम दिल से आभारी रहेंगे। इस क्षेत्र के पार्क में पिछले कुछ वर्षों में कूड़ा फ़ेंक-फ़ेंक कर उसे कूड़ाघर में तब्दील कर दिया था।

परन्तु पुलिस से मीटिंग के बाद, पार्क के पास एक बोर्ड लगवाया गया कि उस क्षेत्र में कूड़ा फेंकना मना है। पुलिस विभाग के एक सब-इंस्पेक्टर की नियुक्ति ने कूड़ा डालने वालों को वहाँ आने से मना कर दिया। फिर आसपास के रिहायशी इलाकों वाले लोगों के साथ पार्क में एक फुटपाथ का निर्माण कर पार्क को एक नया रूप मिला। अब सुबह और शाम को लोग पार्क में घूमने आने लगे है और इसका श्रेय पुलिस विभाग को मिलना चाहिए।

एक बार फिर से इस क्षेत्र के लोग आपको धन्यवाद देते हैं।
मदनपुर क्षेत्र के निवासी
(सेक्रेटरी)

(42) पटाखों से होने वाले प्रदूषण के प्रति ध्यान आकर्षित करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।

58, पंकज लेन
वसंत कुंज,
नई दिल्ली।

दिनांक- 25 अगस्त, 20XX

प्रिय मित्र,
तुम्हारा पत्र मिला। जानकर ख़ुशी हुई कि तुम्हारे माताजी-पिताजी इन दिनों यूरोप घूमने गए हुए हैं और वे सभी प्रमुख जगहों पर जाएँगे। यूरोप घूमकर वापस आने वाले लोग वहाँ के वातावरण जो पूर्णतया प्रदूषण रहित है, का वर्णन करते हैं।

हमारे देश में अब अगले महीने दीपावली का पर्व आ रहा है जहाँ तक दियों या बल्ब से शहर का रोशन होना बहुत अच्छा लगता है वहीं दिवाली और दिवाली से पूर्व पटाखे चलाने से होने वाले प्रदूषण से वातावरण इतना खराब हो जाता है कि पटाखों से निकलने वाले सल्फर के कणों के कारण साँस लेना दूभर हो जाता है और कई बिमारियों की जड़ है। इसलिए मैं तो तुमसे यही कहना चाहूँगा कि खुद भी पटाखे चलाने से परहेज करो और अपने आसपास के लोगों को भी पटाखों से होने वाले प्रदूषण के बारे में बताओ।

तुम्हारा मित्र
भवेश

(43) नगरों में कल कारखानों से प्रदूषण में हो रही वृद्धि को रोकने हेतु किसी दैनिक पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।

परीक्षा भवन,
मेरठ।

दिनांक 17 जुलाई, 20XX

सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक जागरण,
दिल्ली रोड,
मेरठ।

विषय- शहर में बढ़ते प्रदूषण के संदर्भ में।

मान्यवर,
मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से जनता, अधिकारियों तथा सरकार का ध्यान शहरों में कल-कारखानों के कारण होने वाले प्रदूषण की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। आशा है कि आप मेरे पत्र को अपने प्रतिष्ठित समाचार-पत्र में प्रकाशित करेंगे।

आज के आधुनिक युग में उद्योग-धंधों का तेजी से प्रसार हो रहा है। इनकी चिमनियों से निकलने वाले धुएँ से वायुमंडल में प्रदूषण की मात्रा बहुत बढ़ गई है। इसके अतिरिक्त औद्योगिक केंद्रों में मशीनों से निकलने वाले कचरे से भी वायुमंडल में प्रदूषण बढ़ रहा है। प्रदूषण चाहे कैसा भी हो, स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता है। वायुमंडल में शुद्ध वायु की कमी विभिन्न रोगों को जन्म देती है। अपने शहरों के चारों ओर स्थित अनेक उद्योग-धंधों की चिमनियों से निकलने वाला धुआँ तथा कोयले की राख आस-पास के निवासियों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल रही है।

मेरा मुख्यमंत्री, जिलाधीशों तथा प्रदूषण विभाग के अधिकारियों से विनम्र अनुरोध है कि वे इस ओर ध्यान दें तथा इस संबंध में आवश्यक एवं कठोर कदम उठाएँ, जिससे समस्या का उचित समाधान हो सके।
सधन्यवाद!

भवदीय
क.ख.ग.

(44) आपका एक मित्र शिमला में रहता हैं। आप उसके आमंत्रण पर ग्रीष्मावकाश में वहाँ गए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का खूब आनंद उठाया था। घर वापस लौटने पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मित्र को पत्र लिखिए।

परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।

दिनांक 23 मार्च 20XX

प्रिय मित्र नीरज,
सस्नेह अभिवादन,
मैं कुशलतापूर्वक दिल्ली पहुँच गया हूँ। आशा है तुम भी ठीक होंगे। बहुत बहुत धन्यवाद मित्र। इस ग्रीष्मकाल के अवकाश को तुमने यादगार बना दिया। मैंने स्वपन में भी इस तरह का नजारा नहीं देखा जो तुमने मुझे शिमला में दिखाया। तुम्हारे व तुम्हारे परिवार के सहयोग द्वारा ही हमारी यह मात्रा यादगार बनी। सच में तुम तो प्रकृति की गोद में ही रहते हो। इतना सुंदर दृश्य तुमने हमें पहाड़ियों से दिखाया जैसे स्वर्ग हो।

मैं अपने शब्दों द्वारा भी उस प्राकृतिक दृश्यों का वर्णन नहीं कर सकता। यहाँ आकर के मुझे दोबारा तुम्हारे साथ बिताए गए समय का स्मरण हो रहा है। मेरे माता-पिता जी भी तुम्हारे व तुम्हारे परिवार वालों को याद कर रहे हैं। मेरी माता तो तुम्हारी माता जी की मित्र ही बन गई थी। सच में दो परिवारों के साथ मिलकर की गई यात्रा यादगार ही बन जाती है। आशा है तुम भी परिवार सहित दिल्ली आओ तो हम सभी साथ मिलकर मथुरा-वृंदावन घूमने चलेंगे। चाचा जी व चाची जी को मेरा प्रणाम कहना एवं बहन को स्नेह देना। तुमसे पुनः मिलने की आशा में।

तुम्हारा मित्र
ऋषि

(45) आपके क्षेत्र में डेंगू फैल रहा है। स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखकर उपयुक्त चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।

19-कौशलपुर,
कानपुर।

दिनांक : 29-3-20XX

सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी।

महोदय,
सविनय निवेदन इस प्रकार है कि मैं वाराणासी क्षेत्र का निवासी हूँ इस पत्र के द्वारा आपका ध्यान अपने क्षेत्र की स्वास्थ्य समस्या की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ। हमारे क्षेत्र में डेंगू प्रबल रूप से फैलता ही जा रहा है जिस कारण अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की सख्त कमी है। उचित स्वास्थ्य सुविधाएँ और डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों की मृत्यु हो रही है।

अतः आप से निवेदन है कि हमारे क्षेत्र के अस्पताल में उचित चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए और दवाएँ उपलब्ध करवाई जाए जिसमें डेंगू से पीड़ित मरीजों की जान बचाई जा सके।

यदि आपने मेरी समस्या पर अमल किया तो मैं और मेरे क्षेत्र के निवासी आपके अत्यंत आभारी रहेंगे।

सधन्यवाद !

भवदीय,
नन्द कुमार

(46) अपने प्रिय मित्र को पत्र लिखकर धन्यवाद दीजिए कि आड़े वक्त में उसने किस तरह आपका साथ दिया था।

142 पटेल नगर,
नई दिल्ली।

दिनांक :13-3-20XX

प्रिय मित्र,
मधुर स्मृति।

मैं यहाँ पर कुशल मंगल हूँ तथा तुम्हारी कुशलता की कामना ईश्वर से करता हूँ।
पत्र लिखने का कारण यह कि मैं तुम्हें तुम्हारी दयालुता और सहयोग भावना के लिए तहेदिल से धन्यवाद प्रकट करना चाहता हूँ।
मित्र जब मुझे पैसे की सख्त आवश्यकता थी और मैं लाचार था तब आड़े वक्त में तुमने मुझे पैसे देकर मेरी समस्या को दूर किया। मैं शुक्रगुजार हूँ कि तुम्हारा किस प्रकार कर्ज चुकाऊँ।

ईश्वर से प्रार्थना है कि तुम्हारे जैसा मित्र सबको मिले। मैं तुम्हारी दयालुता को कभी भुला नहीं पाऊंगा घर में अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम देना और छोटे भाई बहन को प्यार।

तुम्हारा अभिन्न मित्र,
विवेक।

(47) कंप्यूटर लैब में हिन्दी में काम करने की सुविधा के लिए 'हिन्दी फॉन्ट' की व्यवस्था करवाने का आग्रह करते हुए प्राचार्य/प्राचार्या को 80-100 शब्दों में आवेदन पत्र लिखिए।

सेवा में,
प्रधानचार्य महोदय,
नवोदय विद्यायल,
दरभंगा, बिहार.

दिनांक:10.03.2020

विषय:- कंप्यूटर लैब में हिंदी कार्य करने हेतु 'हिंदी फॉन्ट' की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु अनुरोध पत्र।

आदरणीय महोदय,
अपार खुशी के साथ विद्यालय में विद्यार्थियों के लिए आधुनिक कंप्यूटर लैब का उद्घाटन करने हेतु आपका धन्यवाद अर्पित करता हूँ। आपके इस कदम से हम डिजिटल युग के अनुसार अपने आप को उत्कृष्ट बना पाएँगे। कंप्यूटर लैब में हिंदी के कार्य फिलहाल हिंदी फॉन्ट के उपलब्ध नहीं रहने के कारण सम्पर्ण करना संभव नहीं है। आधुनिक युग में जनमानस तक अपनी पहुँच स्थापित करने हेतु हम अंतरराष्ट्रीय भाषा के साथ ही हिंदी भाषा में भी कार्य करने का हुनर सीखना चाहते है। अतः श्रीमान से निवेदन है कि कंप्यूटर लैब में 'हिंदी फॉन्ट' की व्यवस्था अविलंब सुनिश्चित करने हेतु उचित आदेश पारित करें और हमें कृतार्थ करें।

आपका विश्वासी
राम कुमार
कक्षा दसवीं (बी)

(48) समाज में बढ़ते अपराध को रोकने के लिए नागरिकों को जागरूक करने का आग्रह करते हुए किसी दैनिक अख़बार के संपादक को 80-100 शब्दों में पत्र लिखिए।

220, रामनगर,
उत्तराखण्ड।
दिनांक - 10 जनवरी 2020

सेवा में,
श्रीमान संपादक महोदय,
दैनिक हिंदुस्तान,
उत्तराखण्ड।

विषय- समाज में बढ़ते हुए अपराधों की समस्या के समाधान हेतु पत्र।

महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से अपने समाज में व्याप्त अपराध सरकार के अधिकारियों का ध्यान में बढ़ती हुई अपराध वृत्ति की ओर दिलाना चाहती हूं। आशा है कि आप मेरे पत्र को अपने लोकप्रिय समाचार पत्र में प्रकाशित करेंगे।

अत्यंत खेद के साथ मुझे लिखना पड़ रहा है कि समाज में आजकल गुंडागर्दी ,हत्याएं ,लूटपाट, बलात्कार जैसी आपराधिक घटनाएं लगातार हो रही हैं। आए दिन घरों के ताले तोड़कर चोर घरों में घुसकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। लुटेरों की हिम्मत भी इतनी इतना बढ़ गयी है कि राह चलती महिलाओं के गले से चेन खींचने की घटनाएं भी आम बात हो गई है। बढ़ते अपराधों से महिलाएं डर के कारण घर से अकेले आने जाने का भी साहस नहीं जुटा पाती हैं। पुलिस की गश्त करने वाली वैन सड़क पर दूर-दूर तक दिखाई नहीं देती। सिपाही गश्त पर नहीं आते। इस वजह से अपराधियों के हौसले दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं।

अतः आपसे अनुरोध है कि इन अपराधों की रोकथाम के लिए जल्द-से-जल्द कार्यवाही करें, जिससे अपराधियों के मन में कानून के प्रति भय उत्पन्न हो और वे अपराध करने से पहले दस बार सोचें। अपराधियों पर नियंत्रण रखा जाना अत्यंत आवश्यक है।
धन्यवाद।

भवदीय
विष्णु पाठक

(49) अपनी बड़ी बहन का विवाह होने के कारण आप अपने विद्यालय आने में असमर्थ हैं। तीन दिन की अवकाश प्राप्ति के लिए प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।

परीक्षा भवन
मध्य प्रदेश।

दिनांक- 18 मार्च, 20XX

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
डी ए वी पब्लिक स्कूल,
दुधीचुआ कोल परियोजना, सिंगरौली,
मध्य प्रदेश।

विषय- तीन दिन की अवकाश प्राप्ति हेतु।

महोदय,
मैं आपके विद्यालय में कक्षा दसवीं 'ब' का विद्यार्थी हूँ। मेरी बड़ी बहन का विवाह इसी महीने की 24 तारीख का होना निश्चित हुआ है। विवाह संबंधी कार्यों में पिताजी का हाथ बँटाने तथा घर पर निकट संबंधियों एवं अन्य आगंतुकों (मेहमानों) के आ जाने के कारण घर के कामों में मेरी व्यस्तता बढ़ गई है। विभिन्न प्रकार के कार्यो के लिए भागदौड़ करने वाला कोई अन्य व्यक्ति मेरे परिवार में न होने के कारण, ये सभी कार्य मुझे ही करने पड़ रहे हैं। इस स्थिति में मैं विद्यालय आने में असमर्थ हूँ।

अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि आप मुझे दिनांक 22 मार्च, 20XX से 24 मार्च, 20XX तक तीन दिनों का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें। इसके लिए मैं सदैव आपका आभारी रहूँगा।
सधन्यवाद!

आपका आज्ञाकारी शिष्य
क.ख.ग
कक्षा दसवीं 'ब'

(50) ऑटो-रिक्शा चालकों की मनमानी एवं अनियमितता को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने हेतु अनुरोध करते हुए राज्य परिवहन मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखिए।

परीक्षा भवन,
लखनऊ।

दिनांक- 04 मार्च, 20XX

सेवा में,
प्रमुख सचिव,
परिवहन विभाग,
उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ।

विषय- ऑटो-रिक्शा चालकों की मनमानी एवं अनियमितता को नियंत्रित करने हेतु।

महोदय,
मैं इलाहाबाद महानगर के कर्नल गंज क्षेत्र का निवासी हूँ। शहर में रहने के कारण स्थानीय यातायत के लिए मैं ऑटो-रिक्शा का प्रयोग करना सुविधाजनक समझता हूँ। मैं ऑटो-रिक्शा परिचालन संबंधी अव्यवस्था एवं ऑटो-रिक्शा चालकों की मनमानी से आपको अवगत कराना चाहता हूँ। एक दिन ऑटो-रिक्शा से मैंने मात्र 4 किमी की दूरी तय की, ऑटो-रिक्शा चालक ने किराए के रूप में मुझसे 50 रु. माँगे। वास्तविक किराया 20 रु. होने के कारण, जब मैंने उसे 50 रु. देने से मना किया, तो वह जोर-जबरदस्ती पर उतर आया। मजबूरन मुझे उसको 50 रु. देने पड़े।

श्रीमान एक तो ऑटो-रिक्शा वाले मनमाना किराया वसूलते हैं, दूसरे निर्दिष्ट स्थान पर छोड़ने में आनाकानी भी करते हैं। महिलाओं के साथ उनकी अभद्रता की शिकायतें आम हैं। ऐसी दशा में मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि ऑटो-रिक्शा चालकों की मनमानी को रोकने के लिए शासन के स्तर पर शीघ्रातिशीघ्र कोई प्रभावी कदम उठाने की कृपा करें।

भवदीय
क.ख.ग.